हम चाहे कितने भी बड़े क्यों न हो जायें, किंतु माँ बाप की नज़रों में हमेशा बच्चे ही रहेंगे
आज के बदलते सामाजिक परिवेश में हम अपने नैतिक मूल्यों व संस्कारो को भूलते जा रहे हैं। हम जितने विकसित होते जा रहे हैं हमारी सोच उतनी ही संकीर्ण होती जा रही है। यदि हमारे मां बाप बुजुर्ग, अनपढ़ और बेरोजगार हैं तो हम उनका उपहास उड़ाते हैं। कुछ बच्चे तो हमने ऐसे भी देखे की जिन्हें अपने माँ बाप के साथ चलने में शर्म महसूस होती है। आज हमारे पास मोबाइल चलाने के लिए काफी समय रहता है किंतु मां बाप का हालचाल जानने के लिये बिल्कुल भी समय नहीं। हम असल जिंदगी को भुलाकर बनावटी चीज़ों को तबज्जो देते हैं। मुझे गर्व है कि मैं राष्ट्रहित का कार्य करता हूँ और मेरा हर समाज के वर्ग से पाला पड़ता है। मुझे लोगों की सोच और मानसिकता को देखकर हैरानी होती है कि वो किस हद तक गिर सकते हैं। मैंने बहुत से बुजुर्ग दंपति देखे हैं जिन्हें उनके परिवार द्वारा परेशान किया जाता है और मैं हर रोज अनेकों घरेलू हिंसा के शिकार लोगों से भी मिलता हूँ। पिछले साल मुझसे एक 67 साल के वयोवृद्ध व्यक्ति मिले जिन्होंने सारी उम्र सरकारी विभाग में नॉकरी की और सेवानिवृत्त के बाद अपने परिवार के साथ खुशी से रहने की योजना बनाई थी और अपनी सारी जमा पूंजी अपने 2 बेटों के घर व गाड़ी में खर्च कर दी कितुं आज वह दोनों बच्चे अपने पिता को शारिरिक व मानसिक रूप से परेशान कर रहे हैं। उनकी बहुएं उन पर अत्याचार कर रही है और बेटे मूक दर्शक बने हैं। क्या यही संस्कार है हमारी आज की युवा पीढ़ी के..? हमे बेटियों को उच्च शिक्षा और संस्कार देने होंगे ताकि वह अपने सास ससुर को अपने माँ बाप की तरह मानें और मेरा सभी पुरुष भाइयों से निवेदन रहेगा कि आप अपनी पत्नियों की उतनी ही सुने जितनी जायज़ है और यदि आपके सामने आपकी पत्नियां आपके मां बाप को प्रताड़ित करती है तो आपका जीवित होना व्यर्थ है और महिला बहनों से निवेदन रहेगा कि आप अपने सास ससुर को अपने माँ बाप की तरह इज़्ज़त दें ताकि कल को जब आप खुद सास बनें तो आपको भी अदले का बदला ना मिले। मैं मानता हूं कि कुछ सास ससुर भी अपने परिवार को नाजायज़ तंग करते हैं किंतु हम सभी को सूझबूझ और समझदारी से काम लेना होगा ताकि हमारे परिवार ना टूटे
आपका.... राष्ट्रवादी चंद्रेश
पोस्ट अच्छी लगी तो ज्यादा से ज्यादा शेयर करें
Comments
Post a Comment