Ved Vyas Kunier( Anni)ॐ श्री वेद व्यासाय नमः (महर्षि वेदव्यासस्य महिमा)
🚩ॐ श्री परमात्मने नमः🚩
ॐ श्री वेद व्यासाय नमः
ॐव्यासंवशिष्ठनप्तारंशक्तेचपौत्रकमल्शंपाराशरात्मजंवन्देशुकतातंतपोनिधिम् व्यासाय विष्णुरूपाय व्यासरूपायविष्णवेनमोवैब्रह्मनिधयेवाशिष्ठायनमोनमः 🌹
*महर्षि वेदव्यासस्य महिमा*
भगवान वेदव्यास अपने आप में अलौकिक आभा के धनी तथा अपने मुख्य मंडल की दिव्य आभा से मंत्रमुग्ध करने वाले है भगवान वेदव्यास महर्षि पराशर और सत्यवती के पुत्र है पूर्व में इन्हें कृष्णद्वैपायन तथा बादरायण के नाम से जाना जाता था परंतु वेदों के विभाजन करने के पश्चात ये वेदव्यास कहलाए
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🚩*वेदान् विव्यासः यस्मात सः वेदव्यास इतीरितः*🚩
*महर्षि वेदव्यास लाहौल घाटी के भृगु तुंग दर्रे से होकर मनाली नामक स्थान में पहुंचे तथा अपनी तपस्या में लीन हो गए उसके पश्चात वहां एक जल के स्रोत का प्रादुर्भाव हुआ कालांतर में वह जल का स्रोत व्यास कुंड के नाम से प्रख्यात हुआ और व्यास नदी का उद्गम स्थल भी व्यास कुंड को ही माना जाता है उसके पश्चात महर्षि वेदव्यास अमुकामुक क्षेत्र होकर कुल्लू बंजार घाटी होकर सरेऊऴ नामक स्थान में पहुंचे मान्यता के अनुसार अट्ठारह नागों का प्रादुर्भाव उसी सरोवर से हुआ है तथा 18 दिशाओं में उन्होंने अपने-अपने भाग को विभाजित किया महर्षि वेदव्यास बूढ़ी नागिन से भेंट करने के पश्चात जलोडी जोत होकरअपने केंद ( झरोण ) नामक स्थान में पहुंचे कालांतर में आप वहां एक भव्य मंदिर और कोठी देख सकते है मान्यता के अनुसार यहां महर्षि व्यास को नाग रूप में पूजा जाता है उसके पश्चात भगवान वेदव्यास ने गरुड़ का एक सूक्ष्म रूप बनाकर बाह्य सिराज का भ्रमण किया बाह्य सिराज का केंद्र भाग भगवान व्यास जी को प्रिय लगा तथा व्यास जी यही शिव के ध्यान में लीन हो गए उस पावन भूमि का नाम कुईंर है यहां भगवान वेदव्यास जी का भव्य मंदिर और कोठी बनी हुई है और खटी खऴ नामक स्थान में भगवान वेद व्यास शिव के ध्यान में लीन हुए बैठे है यही महर्षि वेदव्यास जी अपने गणों के साथ विराजित है भगवान वेदव्यास जी का मुख्य वजीर देऊ खोऴा के नाम से प्रसिद्ध है यह भगवान शिव का महा भयंकर प्रलय कारी रूप माना जाता है तथा इनके साथ शक्ति महाकाली के रूप में ठारी बारी भैरो काली तथा काळेबेजे, वीर ढवराची, मणशाणी वीर ,लाहौल किन्नौर की योगिनियां तथा माता धुमरी ( मां धुमावती ) स्थायी देव नरसिंह भगवान के साथ इस पावन भूमि में विचरण करते हैैं यह स्थान कुल्लू मंडल के आनी उप मंडल से 25 किलो मीटर की दुरी में रघुपुर घाटी के आंचल में बसा क्षेत्र है भगवान वेदव्यास 7 हार 3 गढ़ के अधिपति माने जाते हैं
Ved Vyas Kunier |
3 गढ़ के अन्य संबंधित देवता_
नाग टकरासी , नाग चोतरू, नाग पटारनी नाग झाकडु, नाग विशलु जल देवता कुई, खऴगाडी देव , जमदग्नि ऋषि, शुशी महादेव, बशाऊऴी नारायण , बुढ़ी नागिन , नाग माता शैलपुत्री तथा अन्य ग्राम देवता इत्यादि।
मंदिर का छायाचित्र
कुछ अन्य छायाचित्र
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Jai vyas rishi ......or. Sir ji ved vyas rishi ko nag ke rup na ni rishi ke hi rup m puja jata h ......
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