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Showing posts from April, 2021

Pula Chappal Traditional Footwear Of Himachal Pradesh

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                        पारंपरिक पुडा चप्पल पुडा (चप्पल) को भांग की शेल घास से बनाया जाता है इसका प्रयोग धार्मिक अवसरों के लिए किया जाता है। पुडा ही क्यों हिमाचल का पवित्र चप्पल    पुडा चप्पल पहले हिमाचल प्रदेश में बनाया गया था, क्योंकि पहले चमड़े के जूते बनाए    जाते थे। और हम सभी जानते हैं की हिमाचल प्रदेश देवी देवताओं की जन्मभूमि है और इस धरती को देवों की भूमि के रूप में माना जाता था। इन पारंपरिक जूते बनाने के लिए घास (शेल भांग )का उपयोग किया गया था। यह पुुडा हल्के वजन का होते हैं और यह (पुडे) धार्मिक समारोहों के दौरान पहने जाते हैं तथा मंदिर के शुभ अवसरों पर भी पहने जाते हैं अधिक पहाड़ी वाले क्षेत्रों में यह बर्फ पर चलने के लिए भी उपयोगी होते हैं।                                                      यह पुडा अधिक सजावटी होता है इसके तले (sole)शेल भांग की दारी की तरह लंबी रस्सी(जेखडी) से बुन्ना जाता है और उस जूते की ऊपरी तरफ कैनाबिस और (बकरी की शेली) से बुनाई होती है और ऊन के अनेक रंगों के साथ बनाया जाता है और अब सूत से बनाए जाते हैं। विभिन्न आकारों के बनाने के लिए हाथ का उपयोग

Dev Dhank देव ढांक Cave of Lord Shiva (Nirmand) Mysterious Himachal

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हिमाचल प्रदेश रहस्यों का एक राज्य है। यहां कई मंदिर हैं, जिनकी कहानी किसी रहस्य से कम नहीं है। ऐसा ही एक मंदिर है देव ढांक भगवान  शिव की गुफा Cave of Lord  Shiva Dev Dhank देव ढांक जो हिमाचल प्रदेश के निरमंड-कुल्लू जिले में स्थित है। शिमला से इसकी दूरी 147 किलोमीटर और निरमंड से सिर्फ 3 किलोमीटर है। ऐसा माना जाता है कि इस गुप्त में एक मार्ग है जो सीधे श्री खंड पहुंचता है जहां भगवान शिव एक बड़ी चट्टान के रूप में निवास करते हैं। Shrikhand .देव ढांक - भगवान शिव गुफा Dev dark shivling देव ढांक - भगवान शिव मंदिर एक छोटी चट्टान की गुफा के अंदर बना है। एक तंगघाटी आपको मंदिर परिसर में ले जाती है। गुफा काफी गहरी और लगभग 6 फीट ऊंचाई की है। देव ढांक गुफा के अंदर एक शिवलिंग विराजित है। गुफा के ऊपर से, पानी अंदर रिसता है ओर बूंद-बूंद होकर गिरता है। इस तरह की घटना को प्रकृति के चमत्कार के रूप में देखा जाता है, पहाड़ी में चट्टान पर पानी का कोई निशान नहीं है। गुफा के बाहर श्रद्धेय वृक्षों का एक झुंड है  Cave of Lord Shiva श्रद्धेय वृक्षों का एक झुंड है जिसके नीचे अन्य दिव्य देवताओं की मूर्तियाँ रख

Nirmand Village Himachal Pradesh Location Fact and History

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              Nirmand हिमाचल प्रदेश के कुल्लू ज़िले में स्थित एक hगाँव है। यह आउटर सराज क्षेत्र में स्थित है और शिमला से लगभग 150 किमी और रामपुर से 17 किमी दूर है। यह गांव प्रारंभिक वैदिक काल से अस्तित्व में रहा है, जिससे यह भारत में सबसे पुरानी ग्रामीण बस्तियों में से एक है 6 वीं और 7 वीं शताब्दी में पाए जाने वाले कई प्राचीन पत्थर और लकड़ी के मंदिर निरमंड के धार्मिक और ऐतिहासिक स्थल पर स्थित है इस कारण से इसे "हिमालय की छोटी काशी" कहा जाता है यह हिमाचल प्रदेश के सबसे बड़े गांवों में से एक है  निरमंड विशेषकर भगवान परशुराम व माता अम्बिका देवी जी के मंदिर के लिए प्रसिद्ध है Ambika Mata temple Nirmand , यह भूमि परशुराम जी की तप-स्थली मानी जाती है। परशुराम जी को विष्णु का छठा अवतार माना गया हैं वे महर्षि जमदगिनी व माता रेणुका के पुत्र हैं। मान्यता हैं कि परशुराम जी ने निरमंड में 12 वर्ष तक घोर तपस्या की थी। निरमंड का मंदिर सातवी शताब्दी पूर्व निर्मित बताया जाता है। प्रवेश द्वार पर प्रहरी की भांति देवी हडिम्बा की पाषाण प्रतिमा है। गर्भगृह में परशुराम जी की प्रतिमा है जिसने कुल्हाड़

रामायण” क्या है What is Ramayan (In Hindi)

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  Ramayan Ram Lakshman  रामायण का एक छोटा सा वृतांत है, उसी से शायद कुछ समझा सकूँ... 😊 एक रात की बात हैं, माता कौशल्या जी को सोते समय अपने महल की छत पर किसी के चलने की आहट सुनाई दी।  नींद खुल गई, पूछा कौन हैं ? मालूम पड़ा श्रुतकीर्ति जी (सबसे छोटी बहु, शत्रुघ्न जी की पत्नी)हैं । माता कौशल्या जी ने उन्हें नीचे बुलाया | श्रुतकीर्ति जी आईं, चरणों में प्रणाम कर खड़ी रह गईं माता कौशिल्या जी ने पूछा, श्रुति ! इतनी रात को अकेली छत पर क्या कर रही हो बेटी ?  क्या नींद नहीं आ रही ? शत्रुघ्न कहाँ है ? श्रुतिकीर्ति की आँखें भर आईं, माँ की छाती से चिपटी,  गोद में सिमट गईं, बोलीं, माँ उन्हें तो देखे हुए तेरह वर्ष हो गए । उफ !  कौशल्या जी का ह्रदय काँप कर झटपटा गया । तुरंत आवाज लगाई, सेवक दौड़े आए ।  आधी रात ही पालकी तैयार हुई, आज शत्रुघ्न जी की खोज होगी,  माँ चली । आपको मालूम है शत्रुघ्न जी कहाँ मिले ? अयोध्या जी के जिस दरवाजे के बाहर भरत जी नंदिग्राम में तपस्वी होकर रहते हैं, उसी दरवाजे के भीतर एक पत्थर की शिला हैं, उसी शिला पर, अपनी बाँह का तकिया बनाकर लेटे मिले !!  माँ सिराहने बैठ गईं,  बालों मे

10 most important things of Rajputana Rifles !! .राजपूताना राइफल्स की 10 सबसे महत्वपूर्ण बातें

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    Rajputana Rifles 1.राजपूताना राइफल्स इंडियन आर्मी की सबसे पुरानी और सम्मानित राइफल रेजिमेंट है, इसे 1921 में ब्रिटिश इंडियन आर्मी के तौर पर विकसित किया गया था। साल 1945 से पहले इसे 6 राजपूताना राइफल्स के तौर पर जाना जाता था, क्योंकि इसे तब की ब्रिटिश इंडियन आर्मी के 6 रेजिमेंट्स के विलय के बाद बनाया गया था। राजपूताना राइफल्स को मुख्य रूप से पाकिस्तान के साथ युद्ध के लिए जाना जाता है। . 2.1953-1954 में राजपूताना राइफल्स कोरिया में चल रहे संयुक्त राष्ट्र संरक्षक सेना का हिस्सा थी। साथ ही वे 1962 में कौंगो में चले संयुक्त राष्ट्र मिशन का भी हिस्सा थे। . 3.राजपूताना राइफल्स की स्थापना 1775 में की गई थी, जब तात्कालिक ईस्ट इंडिया कम्पनी ने राजपूत लड़ाकों की क्षमता को देखते हुए उन्हें अपने मिशन में भर्ती कर लिया। . 4.उस वक्त बनी स्थानीय यूनिट को 5वीं बटालियन बंबई सिपाही का नाम दिया गया था। इसे 1778 में 9वीं बटालियन बंबई सिपाही के तौर पर रि-डिजाइन किया गया था। रेजिमेंट को 1921 में फाइनल शेप देने से पहले 5 बार रि-डिजाइन किया गया। . 5.राजपूताना राइफल्स करगिल में लड़ने वाली 7 आर्मी यूनिट्स मे

हम चाहे कितने भी बड़े क्यों न हो जायें, किंतु माँ बाप की नज़रों में हमेशा बच्चे ही रहेंगे

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आज के बदलते सामाजिक परिवेश में हम अपने नैतिक मूल्यों व संस्कारो को भूलते जा रहे हैं। हम जितने विकसित होते जा रहे हैं हमारी सोच उतनी ही संकीर्ण होती जा रही है। यदि हमारे मां बाप बुजुर्ग, अनपढ़ और बेरोजगार हैं तो हम उनका उपहास उड़ाते हैं। कुछ बच्चे तो हमने ऐसे भी देखे की जिन्हें अपने माँ बाप के साथ चलने में शर्म महसूस होती है। आज हमारे पास मोबाइल चलाने के लिए काफी समय रहता है किंतु मां बाप का हालचाल जानने के लिये बिल्कुल भी समय नहीं। हम असल जिंदगी को भुलाकर बनावटी चीज़ों को तबज्जो देते हैं। मुझे गर्व है कि मैं राष्ट्रहित का कार्य करता हूँ और मेरा हर  समाज के वर्ग से पाला पड़ता है। मुझे लोगों की सोच और मानसिकता को देखकर हैरानी होती है कि वो किस हद तक गिर सकते हैं। मैंने बहुत से बुजुर्ग दंपति देखे हैं जिन्हें उनके परिवार द्वारा परेशान किया जाता है और मैं हर रोज अनेकों घरेलू हिंसा के शिकार लोगों से भी मिलता हूँ। पिछले साल मुझसे एक 67 साल के वयोवृद्ध व्यक्ति मिले जिन्होंने सारी उम्र सरकारी विभाग में नॉकरी की और सेवानिवृत्त के बाद अपने परिवार के साथ खुशी से रहने की योजना बनाई थी और अपनी सारी जमा

शैक्षणिक संस्थान 21 अप्रैल तक रहेंगे बंद । परीक्षा जारी रहेगी

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  हिमाचल प्रदेश में शैक्षणिक संस्थान 21 अप्रैल तक बंद रहेंगे। यह निर्णय आज जयराम कैबिनेट की बैठक में लिया गया है। पूर्व में सभी शैक्षणिक संस्थानों को 15 अप्रैल तक बंद करने के संबंध में आदेश जारी किए गए थे। कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए कैबिनेट बैठक में उक्त निर्णय लिया गया है। शैक्षणिक संस्थानों में स्कूल, काॅलेज सभी बंद रहेंगे। बताया जा रहा है कि शिक्षा विभाग ने सरकार को 30 अप्रैल तक शैक्षणिक संस्थान बंद करने का प्रस्ताव भेजा था, परंतु कैबिनेट ने 21 अप्रैल तक बंद करने का निर्णय लिया है। राज्य में कोविद -19 मामलों में तेज वृद्धि पर चिंता व्यक्त करते हुए, मंत्रिमंडल ने इस महीने की 21 तारीख तक परीक्षा कर्तव्यों के लिए आवश्यक शिक्षण और गैर-शिक्षण कर्मचारियों सहित सभी शैक्षणिक संस्थानों को बंद करने का निर्णय लिया

A VERY SAD LOVE STORY

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एक दिन एक लड़की के पास Facebook पर एक लड़के की friend Request आती है... लड़के की Pic देख कर लड़की उसे Cancel कर देती है क्योँकि लड़के की Pic उसे पंसद नहीँ आती...पर लड़का बार-बार उसे Request send करता है इस से तंग आकर लड़की उसे add कर लेती है... अब लड़का उसे कभी good morning..evening.. खाना खाया.. ये सब msg करने लगा... लड़की ignore करती, पर बार-बार msg करने पर वो Reply देने लगी.. धीरे-धीरे दोनोँ बहुत अच्छे दोस्त बन गये.. लड़के का नाम "KAMAL" था... और  वो Ship पर Job करता था.. अभी वो Holidays पर घर आया था..कुछ दिनो मेँ उसे फिर से Job पर जाना था...दिन बीतते गये और लड़के के Ship पर जाने का दिन भीँ आ गया... उसने जाने से पहले लड़की को Call किया और उससे पूछा की क्या वो उसे LOVE करती हैँ..? लड़की ये सुन कर चुप हो गयी.. वो उसे प्यार तो करती थी पर अभी थोड़ा वक्त और चाहती थी.. so लड़की ने बोला कि "मैँ तुम्हेँ Like करती हूँ... अगर तुम्हारे जाने पर मुझे तुम्हारी याद आई, तो मैँ वापस आने पर तुम्हेँ जवाब दे दूँगी".. लड़का चला गया... पूरा 1 month गुजर गया Kamal का कोई Call msg नहीँ

प्रदेश में ढ़ाई लाख छात्र-छात्राएं देंगे दसवीं और बारहवीं बोर्ड की परीक्षा । सीसीटीवी कैमरे नकल रोकने का कार्य करेंगे।

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  प्रदेश में ढ़ाई लाख छात्र-छात्राएं देंगे दसवीं और बारहवीं बोर्ड की परीक्षा धर्मशाला — प्रदेश में 13 अप्रैल से शुरू हो रही 10वीं और 12वीं की परीक्षा में करीब ढ़ाई लाख विद्यार्थी परीक्षा देंगे। परीक्षाओं के लिए स्कूल शिक्षा बोर्ड ने तैयारी पूरी कर ली है। 10वीं की परीक्षा में 1.31 लाख, 12वीं में 1.14 लाख परीक्षार्थी बोर्ड परीक्षाओं के लिए पंजीकृत हुए हैं। सुबह के सत्र में 10वीं  के नियमित विद्यार्थी और एसओएस में पंजीकृत विद्यार्थी दूसरे सत्र में देंगे परीक्षा ठीक इसी तरह 12वीं कक्षा के विद्यार्थी भी देंगे परीक्षा इस बार सोशल डिस्टेंसिंग का पालना करने के लिए परीक्षा केंद्रों में भी वृद्धि की है, जबकि नकल रोकने के लिए भी बोर्ड प्रबंधन ने तीन चरणों में तैयारियां की हैं। इसमें जिला प्रशासन, शिक्षा विभाग और बोर्ड की ओर परीक्षा हाल में लगे सीसीटीवी कैमरे नकल रोकने का कार्य करेंगे। हिमाचल प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड के अनुसार 10वीं कक्षा में नियमित 1,16,954 छात्र परीक्षा में बैठेंगे, जबकि 14,931 परीक्षार्थी एसओएस में परीक्षा देंगे। इसके अलावा 12वीं की नियमित कक्षाओं से 1,00,982 परीक्षार्थी बोर्ड

हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय एक बार फिर सुर्खियों में। छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़। परिणाम आधा अधूरा घोषित।

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  हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय एक बार फिर सुर्खियों में।वैसे तो इस विश्वविद्यालय के निकम्मे अधिकारियों ने इसकी छवि पहले ही नष्ट कर रखी हैं , लेकिन पिछले कल एक और इसका निदनीय प्रकरण सामने आया है पिछले कल दिनांक 05/04/2021को UG के 2 बैच का परिणाम HPU ने घोषित किया और किस प्रकार का परिणाम निकाला इसका एक उदाहरण नीचे फ़ोटो में एक छात्र का ग्रेड कार्ड देख सकते है। इस परिणाम में कुछ विद्यार्थी होंगे जिसका परिणाम पूरा है इसमें कम से कम 5% छात्र होंगे बाकी 95% विद्यार्थियों का आधा अधूरा परिणाम निकाल कर विद्यार्थियों की चिंता बढ़ा दी है , जिनका परिणाम आधा अधूरा आया है वो सभी परेशान है जिसका पूरा ज़िमेदार विश्वविद्यालय प्रशासन है ,एक तो ये परीक्षा परिणाम समय से नही निकालते और जब निकलते है तो उसमें भी  इतनी अनिमितताओं को जन्म देते है ।और विश्वविद्यालय पुरे प्रदेश में चर्चित हो उठता है।  छात्रों को परेशान करने की कोई कसर नही छोड़ते क्योंकि जब भी कोई इनके हेल्पलाइन नम्बर पर कॉल करता है तो फ़ोन नही उठाते हैं । प्रदेश  के अत्यंत दुर्गम क्षेत्रों से जैसे चम्बा, पांगी, भरमौर, किन्नौर, लाहौल स्पीति के  छात्रों

आनी के शमशरी महादेव का प्राचीन इतिहास Samshari Mahadev Temple Anni History

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           शमशरी महादेव का प्राचीन इतिहास आनी उपमंडल से 3 किलोमीटर दूर शमशरी गांव आज भी प्राचीन गांव के रूप में पूरे जिला कुल्लू में प्रख्यात है आउटर  सिराज के इस गांव की प्राचीनता इसमें स्थित शमशरी महादेव के प्राचीन मंदिर के अस्तित्व के कारण है। यही वजह है कि शमशरी महादेव के नाम के प्रथम वर्ण से ही इस गांव का नाम शमशर पड़ा। शमशर का शाब्दिक अर्थ  है। संधि-विच्छेद में शम-शर है। शम का अर्थ है एक विशेष जाति का वृक्ष और शर का अर्थ है तलाब। प्राचीन इतिहास के अनुसार शमशरी महादेव की उत्पत्ति के बारे में कहा गया है की शमशर के पास बह रही जलोड़ी नदी के साथ में एक घाट पर एक ग्वाला अपनी गाय कमांद गांव से वहां पर चराने के लिए लाता था माना जाता है कि जब गाय उस घाट पर आती थी । वहां पर शम के पेड़ के नीचे एक पत्थर पर  वह अपने थनो से दूध देती थी।परंतु जब भी ऐसा होता तो उस समय ग्वाले को नींद आ जाती । शाम को वह ग्वाला जब भी घर जाता तो शाम को उस गाय के दूध ना देने के कारण उसका मालिक उसे गालियां देता था। उस गाय के घर पर दूध ना देने का कारण उन्हें पता नहीं चल  रहा था। अगले दिन मालिक ने ग्वाले के सिर की चोटी